Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Feb, 2018 02:00 PM
आटा-दाल योजना के तहत वितरित किए जाने वाले 2 रुपया किलो गेहूं के मामले में कुछ विभागीय इंस्पैक्टरों व अन्य अधिकारियों की तरफ से भारी घपलेबाजी करने के मामले तो सामने आ ही रहे हैं, वहीं उपभोक्ता अदालत ने भी फूड सप्लाई विभाग के इंस्पैक्टरों व अन्य...
अमृतसर (नीरज): आटा-दाल योजना के तहत वितरित किए जाने वाले 2 रुपया किलो गेहूं के मामले में कुछ विभागीय इंस्पैक्टरों व अन्य अधिकारियों की तरफ से भारी घपलेबाजी करने के मामले तो सामने आ ही रहे हैं, वहीं उपभोक्ता अदालत ने भी फूड सप्लाई विभाग के इंस्पैक्टरों व अन्य अधिकारियों के खिलाफ सख्त फैसले सुनाने शुरू कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार जिला उपभोक्ता अदालतने वार्ड नंबर 16सी (टू) के क्षेत्र में रहने वाली उपभोक्ता कमलेश रानी व रानी का बाग निवासी रानी की अपील पर फैसला सुनाते हुए तत्कालीन इंस्पैक्टर व इलाके के ए.एफ.एस.ओ. के खिलाफ 80 हजार रुपए जुर्माना किया है।
क्या था मामला
कमलेश रानी ने अदालत में शिकायत की थी कि वह शहीद ऊधम सिंह कालोनी की निवासी है और नीलाकार्ड होल्डर है। उसके राशन कार्ड को फूड सप्लाई विभाग के अधिकारियों ने 5 किलोमीटर दूर डिपो में ट्रांसफर कर दिया और बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद आटा-दाल योजना में मिलने वाला 2 रुपए किलो का गेहूं नहीं दिया, जबकि सरकार की तरफ से एक सितंबर 2016 से लेकर 31 मार्च 2017 का गेहूं गरीबों में बांटने के लिए भेजा गया था। इसी प्रकार से रानी निवासी रानी का बाग ने अपील की थी कि उसका राशन कार्ड विभागीय कर्मचारियों ने 10 किलोमीटर दूर शिफ्ट कर दिया और बार-बार संबंधित डिपो होल्डर की दुकान पर चक्कर लगाने के बावजूद 2 रुपया किलो वाला गेहूं नहीं दिया। अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई करने के बाद जिला उपभोक्ता अदालत की मैंबर रचना अरोड़ा व प्रिजाइडिंग मैंबर अनूप शर्मा ने दोनों उपभोक्ताओं के हक में फैसला सुनाया है।
कमलेश रानी के हक में दिए गए फैसले में आदेश दिए गए हैं कि कमलेश रानी का राशन कार्ड उसकी रिहायश के नजदीकी डिपो में शिफ्ट किया जाए, 12 महीने के गेहूं के हिसाब से 6024 रुपए दिए जाएं, 1800 रुपया डिपो के बार-बार चक्कर काटने पर आने वाला खर्च अदा किया जाए, 6 हजार रुपया डेली रुटीन पर आने वाला खर्च दिया जाए, 10 हजार रुपया लिटीगेशन फीस और 12 हजार रुपया कंज्यूमर लीगल ऐड अदा करने के आदेश दिए हैं। इसी प्रकार से रानी के हक में सुनाए गए फैसले में विभाग को आदेश दिए गए हैं कि उसका राशन कार्ड नजदीकी डिपो में शिफ्ट किया जाए, 12 महीने के गेहूं के हिसाब से 7224 रुपए दिए जाएं, 1800 रुपया डिपो के बार-बार चक्कर लगाने का खर्च दिया जाए, 6 हजार रुपया रोजाना काम के हुए नुक्सान का हर्जाना दिया जाए, 10 हजार रुपया लिटीगेशन फीस व 12 हजार रुपया कंज्यूमर लीगल ऐड दी जाए।
बताते चलें कि इससे पहले भी उपभोक्ता अदालत ने एक फैसले में डी.एफ.एस.सी. को अपने वेतन से जुर्माना अदा करने के आदेश दिए थे। वार्ड नंबर 16सी (टू) की बात करें तो यह वही वार्ड है जिसमें हाल ही में वार्ड के एक डिपो होल्डर ने अपने इलाके के इंस्पैक्टर राजदीप पर लाखों रुपयों के गेहूं खुर्द-बुर्द करने के आरोप लगाए हैं और विजीलैंस जांच की मांग की है। डिपो होल्डर की तरफ से बाकायदा दस्तावेज पेश किए जा रहे हैं।
विभाग ने अदालत में भी पेश नहीं किया सेल्स रिकार्ड
गरीबों को बांटे गए गेहूं के एक मामले में फूड सप्लाई विभाग के अधिकारियों की तरफ से एस.डी.एम. दफ्तर में सेल्स रिकार्ड पेश नहीं किया गया था और बहानेबाजी की गई थी, लेकिन उपभोक्ता अदालत में भी रिकार्ड पेश नहीं किया जा रहा है। वार्ड नंबर-16सी (टू) के केस की सुनवाई दौरान अदालत की तरफ से संबंधित अधिकारियों से सेल्स रिकार्ड मांगा गया था लेकिन उसको पेश ही नहीं किया गया। कई बार डिपो होल्डर भी आरोप लगा चुके हैं कि फूड सप्लाई विभाग के वार्डों के कुछ इंस्पैक्टर गरीबों को बांटे जाने वाले गेहूं का सेल्स रिकार्ड अपने कब्जे में रखते हैं, जबकि यह रिकार्ड डिपो होल्डर के पास भी होना चाहिए।
डी.एफ.एस.सी. के खिलाफ फैसला सुरक्षित रखा
जिला उपभोक्ता अदालत ने उक्त दोनों फैसलों में जिला फूड सप्लाई कंट्रोलर के खिलाफ गलत हल्फिया बयान दिए जाने के मामले में फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है और इसमें अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है। डी.एफ.एस.सी. ने अदालत में हल्फिया बयान दिया था कि दोनों उपभोक्ताओं को आटा-दाल योजना तहत मिलने वाली सेवाएं दी जा रही हैं, जबकि दोनों उपभोक्ताओं ने शिकायत में कहा था कि उनका राशन कार्ड दूर के किसी डिपो में शिफ्ट कर दिया गया था और उनको गेहूं भी नहीं दी गई।