Edited By Updated: 25 Oct, 2016 12:01 PM
गुरु नानक देव अस्पताल (जी.एन. डी.एच.) के अधीन चलने वाले बेबे नानकी मदर व चाइल्ड केयर सैंटर में आज एक नवजात बच्चे की मौत हो गई।
अमृतसर : गुरु नानक देव अस्पताल (जी.एन. डी.एच.) के अधीन चलने वाले बेबे नानकी मदर व चाइल्ड केयर सैंटर में आज एक नवजात बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के परिजनों ने डाक्टर पर इलाज के दौरान लापरवाही करने के गंभीर आरोप लगाते हुए सैंटर के बाहर बच्चे का शव रखकर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। वहीं अस्पताल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
जानकारी के अनुसार सुनील निवासी न्यू स्वराज नगर, जालंधर की पत्नी गर्भवती थी। 7वें महीने में ही उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। सुनील अपनी पत्नी को लेकर जालंधर के सिविल अस्पताल में पहुंचा तो वहां के प्रशासन ने वहां पर्याप्त प्रबंध न होने के कारण उसे गुरु नानक देव अस्पताल के अधीन चलने वाले बेबे नानकी मदर व चाइल्ड केयर सैंटर में रैफर कर दिया।
सुनील ने पंजाब केसरी को बताया कि जब वह अपनी पत्नी को लेकर बेबे नानकी मदर व चाइल्ड केयर सैंटर में आया तो लेबर रूम में उसकी पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म के दौरान बच्चे का भार 1 किलो 400 ग्राम था तथा बच्चा ठीक हालत में था। कुछ समय बाद डाक्टरों ने बच्चे की हालत ठीक न होने की बात कहते आई.सी.यू. में भेज दिया। बच्चा कई दिन आई.सी.यू. में रहा। पहले ही बच्चे का खून कम था, डाक्टर टैस्ट की आड़ में रोजाना बच्चे का खून निकालते रहे व बच्चे में जब खून ज्यादा कम हो गया तो गुरु नानक देव अस्पताल के ब्लड बैंक ने भी उन्हें खून देने से इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि बच्चे के इलाज के दौरान सारी दवाई व टैस्ट बाहर से करवाते रहे। आई.सी.यू. के स्टाफ ने जब उनके बच्चे की तबीयत खराब हो रही थी तो उस पर ध्यान नहीं दिया। एक जरूरी टीका लगाने के लिए 2 घंटे से अधिक समय लगा दिया। जब आई.सी.यू. के स्टाफ को बच्चे की ओर ध्यान देने के लिए कहा जाता था तो वहां का स्टाफ मोबाइल पर ही सारा दिन व्यस्त रहता था व परिजनों को कुछ भी बोलने नहीं दिया जाता था।
उन्होंने कहा कि उनके बच्चे की मौत के जिम्मेदार डाक्टर हैं, यदि डाक्टरों ने समय पर ध्यान दिया होता तो आज उनका बच्चा बच गया होता। वह सुबह से भटक रहे हैं लेकिन किसी भी अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली है। इसी तरह वहां पर मौजूद अन्य कई लोगों ने भी डाक्टरों पर उपचार के दौरान लापरवाही के आरोप लगाए हैं।