Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 11:36 AM
स्थानीय नगर सुधार ट्रस्ट के करोड़ों के घोटाले में गिरफ्तार एवं न्यायिक हिरासत में बंद ट्रस्ट के डी.सी.एफ.ए. के पद पर रहे दमन भल्ला की जमानत याचिका पर सोमवार को प्रोसीक्यूशन तथा डिफैंस कौंसिल के बीच गर्मागर्म बहस हुई।
अमृतसर(महेन्द्र): स्थानीय नगर सुधार ट्रस्ट के करोड़ों के घोटाले में गिरफ्तार एवं न्यायिक हिरासत में बंद ट्रस्ट के डी.सी.एफ.ए. के पद पर रहे दमन भल्ला की जमानत याचिका पर सोमवार को प्रोसीक्यूशन तथा डिफैंस कौंसिल के बीच गर्मागर्म बहस हुई।
इस दौरान डिफैंस कौंसिल अश्विनी शर्मा का कहना था कि जिन चैंक के जरिए घोटाला किए जाने की बात कही जा रही है, उन पर कथित आरोपी भल्ला को हस्ताक्षर करने का अधिकार ही नहीं था, जबकि इसमें जिन लोगों की मुख्य भूमिका थी, वे हाई कोर्ट से अंतरिम जमानतें हासिल कर चुके हैं। भल्ला करीब 2 महीने से भी ज्यादा समय से स्थानीय केन्द्रीय जेल में बंद है, इसलिए आरोपी भल्ला को जमानत पर रिहा करने के लिए अदालत से अनुरोध किया गया।
दूसरी तरफ प्रोसीक्यूशन तथा एस.आई.टी. टीम का यह कहना था कि इस घोटाले को अंजाम देने में भल्ला की भी बहुत बड़ी भूमिका रही थी। स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज जसपिन्द्र सिंह हेर की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात भल्ला की जमानत याचिका पर सुनाया जाने वाला फैसला 16 जनवरी तक अपने पास सुरक्षित रख लिया है।
मामले की बैकग्राऊंड
स्थानीय ट्रस्ट कार्यालय के करोड़ों के इस घोटाले को लेकर स्थानीय निकाय विभाग पंजाब के पिं्रसीपल सचिव एवं आई.ए.एस. अधिकारी सतीश चन्द्रा द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के आधार पर स्थानीय थाना सिविल लाइन में स्थानीय ट्रस्ट कार्यालय में डी.सी.एफ.ए. (डिप्टी कंट्रोलर फाइनैंस एंड अकाऊंट) रह चुके प्रमुख कथित आरोपी दमन भल्ला के साथ-साथ ट्रस्ट के ई.ओ. रह चुके अरविंद शर्मा, परमजीत सिंह, दयाल चंद गर्ग, महिला अकाऊंट अफसर टीना वोहरा, अकाऊंट क्लर्क सतनाम सिंह तथा विभाग का आडिट करने वाले सी.ए. संजय कपूर के खिलाफ भा.दं.सं. की धारा 420/467/468/471/409/120-बी तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7, 13(1), 13(1)ऐ, बी, सी, डी के तहत 9-9-2017 को मुकदमा नंबर 450/2017 दर्ज किया गया था।
करोड़ों के घोटाले में सिर्फ भल्ला की हो सकी गिरफ्तारी
स्थानीय ट्रस्ट कार्यालय में हुए करोड़ों के घोटाले में नामजद किए गए एक सी.ए. तथा अन्य अधिकारियों सहित कुल 7 कथित आरोपियों को नामजद कर रखा था, लेकिन इस मामले में एकमात्र कथित आरोपी दमन भल्ला ही ऐसे थे, जिन्होंने दरअसल पुलिस के सामने खुद सरैंडर किया था, जबकि पुलिस ने उनका सरैंडर दिखाने की बजाए उन्हें गिरफ्तार ही किए जाने का दावा किया था।
भल्ला की गिरफ्तारी तथा पुलिस रिमांड समाप्त होने के पश्चात से ही न्यायिक हिरासत में बंद चले आ रहे हैं, जबकि अन्य कथित आरोपी अधिकारियों में अधिकांश हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत हासिल करने में कामयाब हो चुके हैं। अंदर ही अंदर भल्ला यह महसूस कर रहे हैं कि कहीं सरैंडर करके उन्होंने कोई गलती तो नहीं कर दी थी, क्योंकि जिस तरह से अधिकांश वरिष्ठ अधिकारी हाई कोर्ट से अपनी अग्रिम जमानत याचिकाओं के जरिए अपनी अंतरिम जमानतें करवाने में कामयाब हुए हैं, वहीं भल्ला अभी तक जेल में ही बंद है। उनके नजदीकी इस बात को महसूस कर रहे हैं कि अगर भल्ला भी सरैंडर करने की बजाए अग्रिम जमानत याचिका दायर करते हुए हाई कोर्ट की शरण में पहुंच जाते तो अन्य कथित आरोपियों की तरह शायद वह भी अंतरिम जमानत हासिल करने में कामयाब हो जाते।