Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Feb, 2018 10:40 AM
वैसे तो कारगिल की जंग के बाद हमारे देश की सुरक्षा एजैंसियों इंटैलीजैंस ब्यूरो ऑफ इंडिया व रॉ की वर्क क्वालिटी का सभी को पता चल चुका है। सारा देश हैरान था कि पाकिस्तानी सेना कारगिल में आकर डेरे जमा लेती है और हमारी एजैंसियों को पता भी नहीं चलता है।
अमृतसर(नीरज): वैसे तो कारगिल की जंग के बाद हमारे देश की सुरक्षा एजैंसियों इंटैलीजैंस ब्यूरो ऑफ इंडिया व रॉ की वर्क क्वालिटी का सभी को पता चल चुका है। सारा देश हैरान था कि पाकिस्तानी सेना कारगिल में आकर डेरे जमा लेती है और हमारी एजैंसियों को पता भी नहीं चलता है।
बेशक हमारे बहादुर सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना व आतंकियों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा,लेकिन सुरक्षा एजैंसियों की नालायकी आज तक सवाल बनकर खड़ी है। वहीं दूसरी तरफ कारगिल के खतरनाक पहाड़ी इलाकों के बाद अटारी बार्डर जैसे अति संवेदनशील व मैदानी इलाकों में भी हमारे देश की सुरक्षा एजैंसियां असफल सिद्ध हो रही हैं। जम्मू-कश्मीर के बारामूला इलाके में सेना के संयुक्त सर्च ऑप्रेशन के दौरान पकड़े गए 2 आतंकियों अब्दुल मजीद भट्ट व मोहम्मद अशरफ मीर ने गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया है कि वह अटारी बार्डर के रास्ते वीजा लेकर पाकिस्तान गए थे।
पाकिस्तान से आतंक की ट्रेनिंग लेकर उसी रास्ते से वापिस आए। आतंकियों के इस खुलासे ने अटारी बार्डर पर तैनात सभी सुरक्षा एजैंसियों की पोल खोल कर रख दी है क्योंकि पाकिस्तान से आने वाले सभी नागरिकों जिनमें विशेष रूप से कश्मीरी युवा हैं, की अटारी बार्डर पर एंट्री के बाद इमीग्रेशन विभाग व अन्य एजैंसियों द्वारा चैकिंग की जाती है। सुरक्षा एजैंसियों के अधिकारियों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है कि वे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को ट्रेस कर सकते हैं और शक होने पर उससे पूछताछ कर सकते हैं लेकिन बारामूला में पकड़े गए दोनों युवा अटारी बार्डर की सुरक्षा एजैंसियों की आंखों में धूल झोंकने में सफल रहे।
कश्मीर में सेना की सख्ती के बाद पंजाब बार्डर के रास्ते पाकिस्तान जा रहे आतंकवादी
आखिरकार कश्मीर के युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग लेने के लिए पंजाब बार्डर का रास्ता क्यों अपनाना पड़ा, इसके पीछे सेना का जम्मू-कश्मीर के आतंकियों के खिलाफ चलाया जा रहा सख्त अभियान है। इसमें अंतर्गत हर रोज सर्च ऑप्रेशन चलाए जा रहे हैं और आतंकियों को तलाश करके उनको मारा जा रहा है। हालांकि इसमें हमारे सैनिक भी शहीद हो रहे हैं लेकिन जितना बड़ा सैन्य ऑप्रेशन जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार की तरफ से चलाया जा रहा है, उतना आज तक किसी भी सरकार ने नहीं चलाया है।
पत्थरबाजों से लेकर आतंकियों को फंडिंग करने वाले नेताओं पर भी बड़ी कार्रवाई की जा रही है और उनको सलाखों के पीछे धकेला जा रहा है। सेना की सख्ती के कारण पाकिस्तानी आतंकवादियों की भारतीय सीमा में घुसपैठ नाकाम साबित हो रही है, यही कारण है कि अब आतंकी ट्रेनिंग लेने वाले पाकिस्तान समॢथत आतंकवादियों को पंजाब बार्डर के रास्ते चोरी-छुपे वीजा लेकर पाकिस्तान जाना पड़ रहा है लेकिन जिस प्रकार से अटारी बार्डर की सुरक्षा एजैंसियां पाकिस्तान से ट्रेङ्क्षनग लेकर आने वाले आतंकियों को पहचानने में नाकाम साबित हो रही हैं, वह एक बड़ी लापरवाही की तरफ इशारा कर रहा है जिससे कोई बड़ा नुक्सान भी हो सकता है।
अटारी बार्डर पर रैकी करते पकड़े जा चुके हैं 4 कश्मीरी युवक
आतंकियों की धमकियों के मामले में देश के सबसे संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में से एक अटारी बार्डर की बात करें तो हाल ही में कस्टम विभाग की टीम ने 3 कश्मीरी युवाओं को उस समय गिरफ्तार किया था जब वे आई.सी.पी. व रिट्रीट सैरेमनी स्थल की रैकी कर रहे थे। सुबह 10 बजे ये 3 युवा आई.सी.पी. क्षेत्र में क्या करने आए थे, यह जानने के लिए पंजाब पुलिस ने इन युवाओं को गिरफ्तार करके जम्मू-कश्मीर पुलिस को बुलवाया और पकड़े गए युवाओं की हिस्ट्री खंगालने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले कर दिया गया।
आई.सी.पी., रिट्रीट सैरेमनी स्थल, समझौता व दोस्ती बसें निशाने पर
अंतर्राष्ट्रीय अटारी बार्डर की बात करें तो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कई बार आई.सी.पी. अटारी जहां से ट्रकों के जरिए आयात-निर्यात किया जाता है, को उड़ाने की धमकी दी है। पाकिस्तानी आतंकवादी नहीं चाहते हैं कि भारत व पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध स्थापित हों। इतना ही नहीं, रिट्रीट सैरेमनी स्थल जहां बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स की रिट्रीट ड्रिल होती है, वहां पाकिस्तानी आतंकी संगठन फिदायीन हमला भी कर चुका है।
पाकिस्तानी रिट्रीट सैरेमनी के एंट्री प्वाइंट पर कार के जरिए फिदायीन हमला किया गया जिसमें 60 पाकिस्तानी नागरिक मारे गए थे। गनीमत रही कि इस हमले के समय भारतीय खेमे में परेड देखने आने वाली सारी जनता जा चुकी थी अन्यथा बम धमाके की आवाज से होने वाले भाग-दौड़ में हमारी तरफ भी नुक्सान हो सकता था। दोस्ती बस की बात करें तो आज भी दोस्ती बस पाकिस्तानी सीमा में जाकर यात्रियों को उतार देती है और उससे आगे यात्रियों को प्राइवेट टैक्सियों में सवार होकर लाहौर या अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है। यही हाल पाकिस्तान व भारत के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रैस का है जिसे कड़े सुरक्षा प्रबंधों में लाया जाता है।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आतंकियों के हौसले पस्त
भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में चल रहे आतंकी लांच पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक किए जाने के बाद अब जम्मू-कश्मीर बार्डर के रास्ते आतंकी घुसपैठ होने के संभावना काफी कम हो गई है और अब पाकिस्तान समॢथत आतंकवादी पंजाब बार्डर की तरफ रुख कर रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकियों व पत्थरबाजों की फंङ्क्षडग को भारी आॢथक नुक्सान हुआ है और उनकी कमर टूटी है।
पठानकोट व गुरदासपुर में 2 बार हमला कर चुके हैं आतंकवादी
पंजाब बार्डर की बात करें तो पाकिस्तानी आतंकवादी एक बार नहीं बल्कि लगातार 2 बार गुरदासपुर व पठानकोट एयरबेस में हमले चुके हैं और हमारी सुरक्षा एजैंसियां इस बात का पता नहीं लगा सकी हैं कि पाकिस्तानी आतंकवादी किस रास्ते से पंजाब में दाखिल हुए थे। उधर, गृह मंत्रालय ने पंजाब में तीसरे हमले का भी अलर्ट जारी कर दिया है। इसको देखते हुए पंजाब पुलिस काफी चौकन्नी होकर काम कर रही है। सीमावर्ती इलाकों में बी.एस.एफ. की फस्र्ट लाइन ऑफ डिफैंस के बाद पंजाब पुलिस की तरफ से सैकेंड व थर्ड लाइन ऑफ डिफैंस खास तौर पर बनाई गई है ताकि किसी भी प्रकार के आतंकी हमले से निपटा जा सके लेकिन जिस प्रकार से सुरक्षा एजैंसियां आतंकियों की पहचाने में असफल रही हैं, वह एक बड़ी लापरवाही की तरफ इशारा है।
आई.सी.पी. अटारी में स्कैनर तक नहीं
अटारी बार्डर पर लापरवाही सिर्फ सुरक्षा एजैंसियों की ही नहीं बल्कि लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की भी साफ नजर आ रही है। हालात ये हैं कि 120 एकड़ जमीन पर 150 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की गई देश की पहली आई.सी.पी. में 5 वर्ष बाद भी स्कैनर नहीं लगा है जो पाकिस्तान से आने वाले ट्रकों को स्कैन कर सके या फिर पाकिस्तान जाने वाले ट्रकों को स्कैन कर सके। इस बाबत कस्टम विभाग ने कई बार मामला उठाया है और गृह मंत्री राजनाथ सिंह सहित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू भी ट्रक स्कैनर लगाने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन अभी तक इसकी कार्रवाई कागजों में ही चल रही है और जमीनी स्तर पर ट्रक स्कैनर लगने संबंधी कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही है जबकि पाकिस्तान की तरफ से अपनी आई.सी.पी. की शुरुआत करते समय ही 2-2 ट्रक स्कैनर लगाए गए।