Edited By Updated: 01 Sep, 2015 01:45 AM
वैसे तो कस्टम विभाग पर धांधलियों और भ्रष्टाचार के कई तरह के आरोप लगते ही रहते हैं मगर जांच-पड़ताल न होने के कारण...
अमृतसर(सोनी): वैसे तो कस्टम विभाग पर धांधलियों और भ्रष्टाचार के कई तरह के आरोप लगते ही रहते हैं मगर जांच-पड़ताल न होने के कारण कथित भ्रष्टाचारी अधिकारी काबू नहीं आ पाते। इसी क्रम में इसी विभाग के आई.सी.पी. अटारी का एक अलग तरह का मामला सामने आया है जिसमें ड्राई फ्रूट इम्पोर्टर आई.सी.पी. अटारी के रास्ते से आम उपभोक्ताओं को जमकर लूट रहे हैं।
अमृतसर के एक प्रतिष्ठित ड्राई फ्रूट इम्पोर्टर ने बताया कि अफगानिस्तान से उत्तर भारत में आयात किया जा रहा ड्राई फ्रूट अधिकांश आई.सी.पी. अटारी के रास्ते से आता है। यह आयात, थोक-पैकिंग और कंज्यूमर पैकिंग में होता है। कंज्यूमर पैकिंग में आयातित ड्राई फू्रट की पैकिंग पर खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम-2006 तथा उपभोक्ता अधिकार सुरक्षा कानून 1986 तले प्रत्येक पैकेट पर पैक की गई ड्राईफ्रूट आइटम का वजन पैकिंग तिथि, एक्सपायरी तारीख, अधिकतम खुदरा मूल्य, निर्यातक और आयातक का नाम दर्ज होना अनिवार्य है, मगर ड्राई फ्रूट आयातकों द्वारा आयात किए जा रहे कंज्यूमर पैक्स पर यह सब होता ही नहीं जो उपभोक्ताओं के साथ सरासर धोखा है जबकि इसी आड़ में उपभोक्ता की जमकर लूट होती है।
पैकिंग पर उक्त प्रविष्टियों की सुनिश्चितता अनिवार्य बनाया जाना कस्टम विभाग का दायित्व है। लेकिन आई.सी.पी. अटारी का कस्टम स्टाफ सिर्फ इसलिए आंखें मूंदे बैठा है क्योंकि लुटेरे इम्पोर्टर भ्रष्ट अधिकारियों की मु_ियां गर्म कर उन्हें आंखें बंद रखने का निर्देश देते हैं। इस तरह से आम उपभोक्ता न केवल वित्तीय रूप से लुट रहा है अपितु पैकिंग पर आयातक/निर्यातक व उनका पता न होने से और पैकिंग की तारीख व एक्सपायरी डेट न होने से घटिया व निम्न स्तरीय और एक्सपायर्ड ड्राई फ्रूट उसे बेचा जा रहा है जो उपभोक्ता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है।
उपभोक्ता की लूट और उसके स्वास्थ्य में आई.सी.पी. अटारी बराबर का भागीदार है जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। प्रबल संभावना यह है कि अमृतसर कस्टम कमिश्नरेट के साथ-साथ चंडीगढ़ तक के अधिकारी भी शामिल हैं। ए.सी.पी. अटारी के असिस्टैंट कमिश्नर से सम्पर्क का प्रयास किया गया मगर उन्होंने फोन ही नहीं उठाया जबकि कमिश्नर व कस्टम अमृतसर कमिश्नरेट ने सम्पर्क का उत्तर देने की जरूरत ही नहीं समझी।