आंगनबाड़ी वर्करों ने डेपो का किया बायकाट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Mar, 2018 10:55 AM

anaganbari worker protest

नशे की बिक्री व नशे की आमद रोकने के लिए चाहे प्रशासन की तरफ से कोई ऐसा सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे नशे की बिक्री व इसकी आमद बंद हो जाए, लेकिन ऐसे कदम जरूर उठाए जा रहे हैं जिससे सरकारी विभागों में काम करने वाले अधिकारियों व कच्चे कर्मचारियों...

अमृतसर(नीरज): नशे की बिक्री व नशे की आमद रोकने के लिए चाहे प्रशासन की तरफ से कोई ऐसा सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे नशे की बिक्री व इसकी आमद बंद हो जाए, लेकिन ऐसे कदम जरूर उठाए जा रहे हैं जिससे सरकारी विभागों में काम करने वाले अधिकारियों व कच्चे कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ पड़े।


जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार की तरफ से नशे की  रोकथाम के लिए शुरू की गई डेपो वालंटियर (ड्रग ऐब्यूज प्रीवैंशन ऑफिसर्स) योजना में प्रशासन ने सभी पुलिस अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल कर दिया है, लेकिन आंगनबाड़ी वर्करों ने इस योजना में काम करने से मना कर दिया है और इस योजना का बायकाट कर दिया है। ऐसा इसलिए नहीं किया गया है कि आंगनबाड़ी वर्कर नशे का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि इसलिए किया गया है, क्योंकि आंगनबाड़ी वर्करों को पिछले तीन महीनों से सरकार ने वेतन नहीं दिया है। इतना ही नहीं सरकारी लापरवाही की हद तब पार हो जाती है, जब पता चलता है कि सरकार ने डेढ़ वर्ष से आंगनबाड़ी सैंटरों का किराया तक नहीं दिया है। 
 

 

अमृतसर जिले की बात करें तो पता चलता है कि जिला अमृतसर में इस समय 800 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, जिनका किराया आंगनबाड़ी वर्कर अपनी जेब से अदा कर रहे हैं।  एक आंगनबाड़ी केन्द्र का किराया 1500 रुपया प्रति महीना है, जबकि आंगनबाड़ी वर्कर को सरकार 5 हजार रुपया महीना वेतन देती है, वह भी तीन महीनों से नहीं मिला है। इन हालात में यह कैसे संभव हो सकता है कि विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए भी आंगनबाड़ी वर्करों को ऐसे कामों में लगा दिया जाए, जिनको पूरा करना उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है। जिले में 1600 के करीब आंगनबाड़ी वर्कर हैं, जो सरकार की तरफ से बनाए जा रहे इस दबाव को सहने के लिए तैयार नहीं हैं।
 

 

आंगनबाड़ी वर्कर यूनियन की जिला प्रधान गुरमिन्दर कौर ने कहा कि सामाजिक व नैतिक नजरिए से हम डेपो वालंटियर्स के काम का बायकाट नहीं करते हैं, लेकिन सरकारी आदेशों के नजरिए से हम सरकार के इस फैसले का विरोध करते हैं। सरकार आंगनबाड़ी वर्करों की मांगों को पूरा करने की बजाय आए दिन ऐसे काम सौंप रही है जिनको पूरा करना आंगनबाड़ी वर्करों की जिम्मेदारी नहीं है।उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को एक स्थानीय रिजोर्ट में प्रशासन  की तरफ से डेपो वालंटियर्स के काम संबंधी बुलाए गए सैमीनार में आंगनबाड़ी वर्करों ने बायकाट कर दिया था और काम करने से इन्कार कर दिया था।  

 

23 को जिले में नशा मुक्ति के लिए दिलाई जाएगी शपथ

पंजाब सरकार की तरफ  से नशों के खिलाफ चलाए  जा रहे अभियान के तहत सरकारी अधिकारियों व आम लोगों को 23 मार्च के दिन नशा मुक्ति के लिए शपथ  दिलाई जाएगी। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तरफ से शहीद-ऐ-आजम भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां से की जाएगी।  इस संबंधी एस.एस.पी. देहाती परमपाल सिंह ने कहा कि डेपो के लिए मैंबरशिप शुरू हो चुकी है। डेपो वालंटियर बनने के इच्छुक व्यक्ति सांझ केन्द्रों से अपने फार्म ले सकते हैं और यहीं पर जमा करवा सकते हैं। इसमें 18 वर्ष से ऊपर की आयु का कोई भी व्यक्ति अपने फार्म भर सकता है और नशे के खिलाफ सरकार की तरफ से चलाए जा रहे उक्त अभियान में शामिल हो सकता है।

 

क्या है डेपो वालंटियर्स का काम
डेपो वालंटियर्स की जिम्मेदारी होगी कि वह अपने इलाके में नशों के खिलाफ जागरुकता पैदा करें, नशे में फंसे लोगों की पहचान करके उनको नशा मुक्ति केन्द्र तक पहुंचाएं, नशा मुक्ति केन्द्रों की जानकारी दें, अपने इलाके में खेलों को बढ़ावा दें और साकारात्मक काम करवाएं, नशों की बिक्री करने वालों की जानकारी पुलिस को दें और प्रशासन के साथ मिलकर काम करें। प्रशासन की तरफ से डेपो वालंटियर्स का पहचान-पत्र भी दिए जाएंगे।

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